What is Kernel in Linux – Linux एक बहुत ही popular और free operating system है जिसका used विभिन्न प्रकार के devices और computers पर किया जाता है। यह open source software है, जिसका मतलब है कि यह free में use किया जा सकता है और किसी भी रूप में बदला जा सकता है।
‘Kernel’, Linux का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे ‘Heart of Linux’ के रूप में भी जाना जाता है। इस article में, हम kernel के बारे में विस्तार से जानेंगे, यह कैसे काम करता है और उसके कार्यों के बारे में बात करेंगे।
Contents
What is Kernel in Linux?
Kernel क्या होता है?
What is Kernel in Linux – Linux में kernel आमतौर पर input/output (I/O) और hardware के बीच communicates करने वाला software होता है। इसका मुख्य कार्य होता है, एक computer के सभी hardware और software के बीच को coordination सुनिश्चित करना। Kernel, computer के memory, processor, storage, networking, input/output devices और अन्य hardware के साथ communicates करता है ताकि applications और users के बीच एक unique experience प्रदान कर सकें।
Kernel के प्रकार:
Linux में kernel के कई प्रकार होते हैं, और यह user की आवश्यकताओं और devices के प्रकार पर depends करता है। कुछ मुख्य kernel variants निम्नलिखित होते हैं, जैसे:
Monolithic Kernel:
इस प्रकार के kernel में सभी operating system की services और drivers एक ही बड़े kernel में होते हैं। इसमें बदलाव करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन इसका operation तेज होता है। Linux के पूराने kernels में monolithic kernels का उपयोग होता था।
Micro-kernel:
यह kernel, system की कुछ core services को अलग-अलग processes में divides करता है, और उन्हें independent processes के रूप में काम करने देता है। यह एक बहुत ही modular और flexible design प्रदान करता है, लेकिन इसका management और operation थोड़ा जटिल हो सकता है।
Hybrid Kernel:
यह एक middle path की तरह काम करता है, मतलब की इसमें कुछ services kernel में होती हैं और कुछ को अलग processes में ले जाता है। यह kernel, fast और stable होता है, लेकिन यह flexibility के साथ आता है। Linux का modern kernel, जिसे Linux Torvalds और अन्य सहयोगी developers ने developed किया है। यह hybrid kernel का एक अच्छा उदाहरण है।
What is Kernel in Linux
Kernel के कार्य:
Linux में kernel के कई important कार्य होते हैं जो इसे एक operating system के रूप में implement करते हैं। Kernel के कुछ मुख्य कार्य इस प्रकार है:
Process Management
इसमें Kernel, processes को manage करता है, जिसमें process creation, termination, और status monitoring शामिल होते हैं।
Memory Management
इसमें Kernel, system की memory को manage करता है, जिसमें memory allocation, de allocation, और swapping शामिल होते हैं।
Device Drivers
इसमें Kernel, hardware के साथ communicate करने और उसको manage करने वाले device driver को support करता है।
File System
इसमें Kernel, file system के साथ communicates करता है और files को पढ़ने और लिखने की अनुमति देता है।
Networking
इसमें Kernel, network operation के लिए आवश्यक services provide करता है, जिससे user devices network के साथ communicate कर सकते हैं।
Security
इसमें Kernel, system की security को manage करता है और unauthorized access से बचाव करता है।
Kernel कैसे काम करता है?
Linux में kernel एक बहुत ही important role निभाता है, जो users और developers को एक stable, secure और convenient operating system प्रदान करने में मदद करता है। यह users को विभिन्न hardware पर Linux को use करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है, और इसके साथ ही साथ software developers को एक improved और unique platform प्रदान करता है, जिसे वे develop कर सकते हैं।
Linux में kernel कैसे काम करता है, यह समझने के लिए हमें यह जानना होगा कि एक user कैसे अपने computer का उपयोग करता है।
Input/Output (I/O) services
जब आप computer पर कुछ करते हैं, जैसे कि किसी text document को लिखना, mouse का उपयोग करना, या internet पर कुछ search करना, तो आपके द्वारा दी गई input को kernel processes करता है और आपको आवश्यक output प्रदान करता है।
Process Management:
जब आप कोई application चलाते हैं, तो kernel नये process को शुरू करता है और उसके लिए memory और processing विशेषताएँ allocates करता है।
Memory Management:
यहां Kernel, memory को allocates और de allocates करता है जब कोई process की आवश्यकता होती है। Kernel यह सुनिश्चित करता है कि कोई process अन्य process की memory में नहीं पहुँच सके।
Device Drivers
यहां Kernel, hardware के साथ communicate करने और उसको manage करने वाले device drivers को supports करता है, जिससे hardware का उपयोग किसी भी application या process से किया जा सकता है।
Kernel का upgrade और update
Linux में kernel का update और upgrade नियमित रूप से होता है ताकि यह secure और innovative बना रहे। Kernel को upgrade करने से नए hardware support किए जा सकते हैं, security improve किए जा सकते हैं,
और system की performance में सुधार किए जा सकता है। आप अपने Linux distribution के website से latest kernel की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और वहीं से अपने system को upgrade कर सकते हैं।
आपने जाना –
What is Kernel in Linux – इस article में हमने जाना कि Linux में kernel एक operating system का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है जो हमे हमारे computer और devices के साथ communicate करने में मदद करता है। यह users के लिए एक unique और convenient operating system प्रदान करने में मदद करता है और software developers को एक modern और modular platform प्रदान करता है।
हमने यह भी जाना कि Linux में kernel के विभिन्न प्रकार होते हैं, और यह users के आवश्यकताओं और devices के प्रकार पर निर्भर करता है। यदि आपके पास अपने project के लिए Linux kernel का चयन करने का मौका है, तो आपको अपनी आवश्यकताओं के हिसाब से सही प्रकार का kernel चुनना चाहिए।
Linux में kernel को regularly upgrade और update करना important है ताकि आपका system, secure और stable रहे, और आप innovative features का भी लाभ उठा सकें। इसलिए, Linux में kernel को नियमित रूप से upgrade करने का प्रयास करें और अपने system को up to date रखें।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह article पसंद आया होगा और आपको Kernel के बारे में जानने को मिला होगा। अगर आपको हमारा यह article अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ share जरूर करें और अगर आपके पास कोई सवाल या सुझाव हो तो उसे हमें जरूर comment करके बताये। धन्यवाद!
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